31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती है जिसे पूरे देश में राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन रन फॉर यूनिटी का भी आयोजन किया जाएगा जिससे देश के कोने-कोने में राष्ट्रीय एकता का संदेश जाए।
लौह पुरुष कहे जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल भी ऐसी ही शख्सियत है। देश को एकता के सूत्र में बांधने में उनका बहुत बड़ा योगदान था।
आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें जिनके बूते वो ना सिर्फ लौह पुरुष कहलाए बल्कि देश को भी एकसाथ बांधा -
1. भारत के स्वतंत्रता सेनानी रहे वल्लभ भाई पटेल, आजादी के बाद देश के पहले गृहमंत्री और उप-प्रधानमंत्री बने। वो हमेशा से अन्याय के विरुद्ध थे और जब भी मौका मिला अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई।
2. वल्लभ भाई पटेल हमेशा ही एकता का संदेश देते। एकता के लिए ही उन्होंने भारत की करीब 562 रियासतों को एक कर दिया था और इसी की वजह से बाद में भारत एक संपूर्ण संप्रभुता वाला राष्ट्र बना। दुनिया के किसी भी कोने में ऐसा कोई और नहीं हुआ जिसने इतनी सारी रियासतों को
एक करने का साहस किया हो।
एक करने का साहस किया हो।
3. भारत के एकीकरण कराने की वजह से ही सरदार वल्लभ भाई पटेल को भारत का लौह पुरुष कहा जाने लगा था।
4. देश की रियासतों को एक साथ मिलाने के लिए वल्लभ भाई पटेल ने जो तरकीब अपनाई थी वो वाकई दिलचस्प है। इसके लिए 5 जुलाई 1947 को एक रियासत विभाग बनाया गया। इसके बाद उनका काम शुरू हुआ। हर रियासत के राजा के पास जाकर वल्लभ भाई पटेल ने उनकी समस्याएं सुनीं और उनका हल निकाला।
5. इस तरह करते-करते वल्लभ भाई पटेल ने सारी रियासतों को एक कर दिया। 1947 तक आते-आते सिर्फ तीन ही रियासतें बचीं जो भारत में नहीं मिल पाईं। इनमें कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद शामिल हैं। हालांकि इनमें से जूनागढ़ को 9 नवंबर 1947 को भारत में मिला लिया गया था लेकिन जूनागढ़ का नवाब पाकिस्तान भाग गया।
6. इसके बाद हैदराबाद को भी भारत में मिला लिया गया। दिलचस्प तो यह है कि इन सारी रियासतों को एकजुट करने के दौरान ना तो किसी तरह का खून-खराबा हुआ और ना ही किसी तरह का बल प्रयोग करना पड़ा।
7. जबकि कश्मीर रियासत पंडित नेहरू ने अपने अधिकार में ली हुई थी। 562 रियासतों को एक करना नामुमकिन सी बात थी, लेकिन पटेल ने वो कर दिखाया और इसकी प्रशंसा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी की थी।
8. वल्लभ भाई पटेल गृहमंत्री के रूप में पहले ऐसे शख्स थे जिन्होंने भारतीय नागरिक सेवाओं (I.C.S) का भारतीयकरण किया और उन्हें I.A.S. बनाया।
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